Saturday, November 15, 2008

तस्वीर

THIS POEM TAKES YOU ALL TO A WORLD OF PURE LOVE ; WHERE YOU WILL TRAVEL ALONG WITH THE WRITER ON A TIMELESS JOURNEY.... ONE OF MY ALL TIME FAVORITE COMPOSITIONS ...................

तस्वीर

मैंने चाहा कि
तेरी तस्वीर बना लूँ इस दुनिया के लिए,
क्योंकि मुझमें तो है तू ,

हमेशा के लिए....

पर तस्वीर बनाने का साजो समान नही था मेरे पास.
फिर मैं ढुढ्ने निकला ;

वह सारा समान ,
मोहब्बत के बाज़ार में...

बहुत ढूंढा , पर कहीं नही मिला;

फिर किसी मोड़ पर किसी दरवेश ने कहा,
आगे है कुछ मोड़ ,तुम्हारी उम्र के ,
उन्हें पार कर लो....


वहाँ एक अंधे फकीर कि मोहब्बत की दूकान है;
वहाँ ,मुझे प्यार कर हर समान मिल जायेगा..

मैंने वो मोड़ पार किए ,सिर्फ़ तेरी यादों के सहारे !!


वहाँ वो अँधा फकीर खड़ा था ,
मोहब्बत का समान बेच रहा था..
मुझ जैसे, तुझ जैसे,
कई लोग थे वहाँ अपने अपने यादों के सलीबों और सायों के साथ....

लोग हर तरह के मौसम को सहते वहाँ खड़े थे...
शमशान के प्रेतों की तरह .......

उस फकीर की मरजी का इंतज़ार कर रहे थे....
फकीर बड़ा अलमस्त था...
खुदा का नेक बन्दा था...
अँधा था......

मैंने पूछा तो पता चला कि
मोहब्बत ने उसे अँधा कर दिया है !!
या अल्लाह ! क्या मोहब्बत इतनी बुरी होती है..
मैं भी किस दुनिया में भटक रहा था....


खैर ; जब मेरी बारी आई
तो ,

उस अंधे फकीर ने ,
तेरा नाम लिया ,और मुझे चौंका दिया ,
मुझसे कुछ नही लिया.. और
तस्वीर बनाने का साजो समान दिया...
सच... कैसे कैसे जादू होते है मोहब्बत के बाजारों में !!!!

मैं अपने सपनो के घर आया ..
तेरी तस्वीर बनाने की कोशिश की ,
पर खुदा जाने क्यों... तेरी तस्वीर न बन पाई...


कागज़ पर कागज़ ख़त्म होते गए ...
उम्र के साल दर साल गुजरते गये...
पूरी उम्र गुजर गई
पर
तेरी तस्वीर न बनी ,
उसे न बनना था ,इस दुनिया के लिए ....न बनी !!

जब मौत आई तो ,

मैंने कहा ,दो घड़ी रुक जा ;
ज़िन्दगी का एक आखरी कागज़ बचा है ॥उस पर मैं "उसकी" तस्वीर बना लूँ !


मौत ने हँसते हुए उस कागज़ पर ,
तेरा और मेरा नाम लिख दिया ;
और मुझे अपने आगोश में ले लिया .
उसने उस कागज़ को मेरे जनाजे पर रख दिया ,
और मुझे दुनियावालों ने फूंक दिया.
और फिर..
इस दुनिया से एक और मोहब्बत की रूह फना हो गई..





7 comments:

  1. मौत ने हँसते हुए उस कागज़ पर ,
    तेरा और मेरा नाम लिख दिया ;
    और मुझे अपने आगोश में ले लिया .
    उसने उस कागज़ को मेरे जनाजे पर रख दिया ,
    और मुझे दुनियावालों ने फूंक दिया.
    और फिर..
    इस दुनिया से एक और मोहब्बत की रूह फना हो गई..

    " read your blog first time, so amezing thoughts, these particular lines are really very touching... liked it very much"

    Regards

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  2. कहीं सुना था ;
    मेरे ज़नाजे के पीछे सारा ज़माना निकला
    मगर वो ना निकले जिनके लिए ज़नाज़ा निकला |.
    वो तो साथ में थे ना ??

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  3. hello friend, i know hindi very little .phir bhi , i enjoyed your poem "pyaar ke bazar main "very new thinking and heart touching lines. I felt the same as though it is of me. may i quote a line of Colridge :IT IS BETTER TO BE LOVED AND LOST THAN NEVER LOVED AT ALL " thanku dhanyavaad. i will read other poems soon & let you know my views ok . regards: sripad gumaste

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  4. poori kavita ek shabdchitra ban kar nikal gayee ankho ke samne se...jaise manaspatal par koi shbadoin se ek akriti uker raha ho

    bhaut achi lagi apki ye kavita...

    sara blog padungi dheere dheere....
    ahsas ko jubana dena kathin bhi hai aur saral bhi..agar ahsas ko ji liya ek dam saral warna use samjhna bhi mushkil

    regards
    sakhi

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  5. areyyyy bhai maar dala kisi ko nahi aapne mujhe fanaaaaaa kar dala bahut hi uncha bahut hi umda likh dala....
    anmol shabdo se gunthi hai ye hai sundar mala........

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  6. Aapne mere blogpe tippanee kee aur kaha yahan sukoon milega...gar sach poochho to sukoonke saath, saath ek dardbhi rubaru khada ho gaya..!Ek aseem peedase wabasta ho gayee.
    Kin, kin panktioyonko misaalki taurpe pesh karun??
    Mai phir phir ke lautungee..abhee jee nahee bhara..aaj raat lambe samaytak padhneka iraada rakhtee hun !

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  7. kuch tasveer jo hamare jehan mein hoti hain wo kabhi nhi banti kyunki unhein hum aakar nhi de sakte sirf mehsoos kar sakte hain , uske sath ji sakte hain aur mar sakte hain.

    wo jo khwab hota hai na wo sirf hamara hota hai aur usko roop dene ki jaroorat bhi nhi hoti......kyunki wo hamara hai khas.

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