Friday, November 21, 2008

शादी


तुम्हे याद हो न हो ,
मुझे तो हर बात याद है !

कैसी ख्वाबों की दुनिया थी
तेरी और मेरी .....

तुम्हे याद है
शहर की हर गली में ,
तुम; मेरा साया ढूँढ्ती थी !

तुम्हे याद है ,
तेरे लिए ,मेरी बाहों में
कुल-जहान का सकून था !

तुम्हे याद है ,
मेरी वजूद ही; तेरे लिए ;
सारी दुनिया का वजूद था !

सब कुछ , सच में ..
कुछ पिछले जन्मों की बात लगती है .....

सुना है आज
तेरी शादी है ;
कोई अजनबी ,
तेरे संग ब्याह कर रहा था...

सच ; मैंने भी तूझे ,
कभी बहुत चाहा था............

जिस हाथ ने तेरी मांग भरी ,
काश उस हाथ की उँगलियाँ मेरी होती.....!
जिन कदमो के संग तुने फेरे लिये,
काश उन कदमो के साये मेरे होते....!
जो मंत्र तुम दोनों के गवाह बने,
काश उन्हें मैंने भी दोहराया होता !!

कोई अजनबी तेरे संग ब्याह कर रहा था !!!

शहर वाले तेरी शादी का खाना खा रहे थे ;
मुझे लगा ,
आज मेरी तेरहवी है !!!!

13 comments:

  1. bahut sundar hai...vijay ji..aapki ye rachna ...

    ....jyada bhari words nahi hai... lekin..simple ...aur ...dard bhara hai...

    ...nayak ke dard ko bayan karne ki ek kamyab koshish hai...

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  2. कबकी लिखी है ये कविता विजय जी...? वो तारीख भी डाल दिया करे तो पाठकों के मन में उठी
    जिज्ञासा का समाधान भी हो जाये। क्‍या यह कविता आपके जीवन पर अधारित है?

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  3. bahut hi achi hai aapki ye rachna....

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  4. जो मेरी आंखों मे ये गम का जो समन्दर है
    यह समन्दर है तो ठहरा रहे वह बहता क्यो है...

    अजनबी है तो वो मेरे ज़हन में रहता क्यों है,
    वो जब है ही नही तो मुझे दिखता क्यों है,

    जो मेरी आंखों मे ये गम का जो समन्दर है
    यह समन्दर है तो ठहरा रहे वह बहता क्यो है...

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  5. GAJAB!!


    AISI NOBAT KISI KI NA AAYE YE DUA HAI......
    KOI AASHIQ IS TARHAN NA TADPE....

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  6. उदासी में तो ये रचना पहले ही डुबो देती है .अंत अत्यन्त दर्दनाक है .
    लेकिन प्रियतम की शादी में तेरह्न्वी का शब्द कुछ दिलजला सा लगता है

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  7. Mujhe sawaal to nahee karna chahiye, par lajawab saadgeese bharee, dard se nikharee gayee ye rachna hai....aur saaree rachnayonke liye kahungee, ki ekse badhke ek hai...! Harek ek ke neeche tippanee deneki aapki binatee hai, to hafton, kya maheeno lag jayenge aur mujhe alfaaz nahee milenge !

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  8. shahar vale teri shadi ka khana kha rahe hai
    mujhe laga aaj meri tehrve hai....
    ek dard ka ehsaas hai jo pathak tak bakhoobi pahunch sakta hai....badhai

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  9. Vijay Jee Bahut Hi Sundar rachna lagi bahut khoob..........

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  10. आदरणीय विजय जी,
    आपकी लेखनी काफी सशक्त है, मन तो करता है कि बस आपकी लिखी हुई सारी पोस्टिंग्स पढता रहूँ पर मेरे पास समय का अभाव है, और शायद मैं आपकी लेखनी से निकले शब्दों को पढने के लायक भी नहीं या फिर मुझमे उतनी क्षमता नहीं. आपकी पोस्टिंग ह्रदय में घर कर गयी... बेहद शानदार पोस्टिंग...
    मैं भी लिखने का शौकीन हूँ और मैंने भी एक ऑनलाइन डायरी बनाई है ज़रा गौर फ़रमाएँ...
    www.koitohoga.blogspot.com

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  11. sirjee mujhe jo bhii likhna hota hai woh to mere se phele waale likh chuke hote hain .......ab main naye sabdh kahan se khoju ............koi dictionary bata dijiye jahan se aapke baare me kuch naya keh sakuu ..............aglii baar se comment jaldii diyaa karunga ..........

    tab shayad mere baad waale merii taklif samajh paaye ............


    weldone

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  12. जिस हाथ ने तेरी मांग भरी ,
    काश उस हाथ की उँगलियाँ मेरी होती.....!
    जिन कदमो के संग तुने फेरे लिये,
    काश उन कदमो के साये मेरे होते....!
    जो मंत्र तुम दोनों के गवाह बने,
    काश उन्हें मैंने भी दोहराया होता !!
    " i have no words to appreciate these words, so emotional words straight from the heart..... really touched me deeply"

    Regards

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