मौत
जिंदगी का बोझ अब सहा नही जाता
सोचता हूँ मर ही जाऊं !!
पहले
ज़रा अपने हाथो में तेरा चेहरा संभाल लूँ
ज़रा तेरे होंठो को मेरे दिल में जगह दे दूँ
ज़रा तेरी आंखों को अपनी यादों में समेट लूँ
और आख़िर में ;
तू मुझे अपने जुल्फों से ढक ले !
मेरे रब , अब मुझे तू मौत दे ही दे...!!!
आपकी कविता बहुत पसंद आयी!
ReplyDeleteअपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
ReplyDeletebahut sunder sketch aur rachana
ReplyDeleteजिंदगी का बोझ अब सहा नही जाता
ReplyDeleteसोचता हूँ मर ही जाऊं !!
"very painful words to read"
regards
dono hi behad bhav bhare hai skething ke sath sath rachanawon me creating bahot hi kam dekhane ko milta hai bahot bahot badhai aapko.. sath me aapka dero swagat hai mere blog pe ummid hai aapka sneh nirantar bana rahega....
ReplyDeleteजब हाथों में किसी का चेहरा सभाल जाए....होंठ दिल में जगह पा जायें...यादें आंखों में सिमट आयें और...कोई अपनी जुल्फों से धक् ले तो...उस के बाद बचता ही क्या है जिन्दा रहने को...बेहतरीन रचना...
ReplyDeleteनीरज
बहुत सुंदर चित्र और कविता हैं.
ReplyDeleteचित्र और रचना दोनों ही बहुत पंसद आये... बधाई...
ReplyDeleteMaut kavita achchhee ban padee
ReplyDeletehai.kavita mein mun ka shasvat
dard nihit hai