Monday, December 22, 2008

पूरे चाँद की रात


आज फिर पूरे चाँद की रात है ;
और साथ में बहुत से अनजाने तारे भी है...
और कुछ बैचेन से बादल भी है ..

इन्हे देख रहा हूँ और तुम्हे याद करता हूँ..

खुदा जाने ;
तुम इस वक्त क्या कर रही होंगी…..

खुदा जाने ;
तुम्हे अब मेरा नाम भी याद है या नही..

आज फिर पूरे चाँद की रात है !!!

18 comments:

  1. बहुत सुंदर भाव है इस रचना के

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  2. आज फिर पूरे चाँद की रात है.....


    वाह, क्या सुन्दर अभिव्यक्‍ती है. पूरे चाँद की रात अपने आप में ही एक कविता होती है और उस पर कोई याद आना, बहुत अच्छ बात है.

    मुकेश कुमार तिवारी

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  3. सुन्दर !
    घुघूती बासूती

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  4. आज फिर पूरे चांद की रात है ,
    वाह !बहुत सुंदर ....बधाई।

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  5. वाह सच बहुत सुन्दर लिखा है

    ......................................
    http://prajapativinay.blogspot.com/

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  6. सुंदर और प्रेम से अभिभूत,
    आपने मुझे भी कुछ याद दिलाया,
    बधाई और धन्यवाद

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  7. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति है... बहुत-बहुत बधाई ...यूँ ही लिखते रहिये...

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  8. बहुत ही सुन्दर भाव लिखे हैं। बहुत खूब।

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  9. पूरे चाँद की रात में अनजाने तारों और बेचैन से बादलों को देख कर तुम्हारी याद आना स्वाभाविक है -सुंदर !

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  10. poora chand kai baar unki yaad dila..tarsata hai dil ko aur ek ajeeb baichain ghar kar leti hai man mein..
    ache bhav hai

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  11. चाँद के साथ कई दर्द पुराने निकले
    कितने गम थे जो तेरे गम के बहाने निकले

    chaand jane kitni kavitaon ko janm dene wala hai. Likhte rahein

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  12. poore chand ki rat.............kisi ki yaad dila gaya aapko.........uske chehre ka deedar kara gaya aapko.......poora chand beeta hua pal yaad dila gaya aapko

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  13. बहुत ही अच्छे भावः डाले हैं आपने अपनी इस रचना में बहुत ही अच्छा लिखा है ....

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  14. Hum to hain pardees main
    Dees main nikla ho ga chand
    Apni raat ki chhat pe kitna
    Tanha ho ga chand hoo

    Chand bina har shab yun thi
    Jaise jug betye
    Mere bina kis haal main ho ga
    Kaisa ho ga chand hoo

    Aa piya moree nanein main
    Main palak dhaanp tohay loun
    Na main dekhon aur ko aur na
    Tuhe dekhan doon

    Raat ne aisa pech lagaya
    Tutii hath se dor
    Anghan wali neem main ja kar
    Atka ho ga chand hoo

    Hum to hain pardees main
    Dees main nikla ho ga chand
    Apni raat ki chhat pe kitna
    Tanha ho ga chand hoo

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  15. Kabhi Aanso Chupa Chupa Ke Rooey,
    Kabhi Dastan-E-Gum Suna Ke Rooey,

    Raat Katti Hai Intezar-E-Yaar Main,
    Hum Raat Bhar Taroon Ko Jaga Jaga Ke Rooey,

    Phir Woh Na Aay Raat Ka Wada Kar Ke,
    Hum Tamaam Raat Shama Jala Jala Ke Rooey,

    Aaj Raat Un k Aaney Ki Umeed The Humain,
    Woh Na Aay Hum Ghar Ko Saja Saja Ke Rooey,

    Suna Hai Dua Se Hoti Hai Muraad Dil Ki Poori,
    Hum Sari Raat Haath Utha Utha Ke Rooey…!!!

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  16. That is a beautiful piece of writing..happy new year to you...

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