कोई एक पल
कभी कभी यूँ ही मैं ,
अपनी ज़िन्दगी के बेशुमार
कमरों से गुजरती हुई ,
अचानक ही ठहर जाती हूँ ,
जब कोई एक पल , मुझे
तेरी याद दिला जाता है !!!
उस पल में कोई हवा बसंती ,
गुजरे हुए बरसो की याद ले आती है
जहाँ सरसों के खेतों की
मस्त बयार होती है
जहाँ बैशाखी की रात के
जलसों की अंगार होती है
और उस पार खड़े ,
तेरी आंखों में मेरे लिए प्यार होता है
और धीमे धीमे बढता हुआ ,
मेरा इकरार होता है !!!
उस पल में कोई सर्द हवा का झोंका
तेरे हाथो का असर मेरी जुल्फों में कर जाता है ,
और तेरे होठों का असर मेरे चेहरे पर कर जाता है ,
और मैं शर्माकर तेरे सीने में छूप जाती हूँ ......
यूँ ही कुछ ऐसे रूककर ; बीते हुए ,
आँखों के पानी में ठहरे हुए ;
दिल की बर्फ में जमे हुए ;
प्यार की आग में जलते हुए ...
सपने मुझे अपनी बाहों में बुलाते है !!!
पर मैं और मेरी जिंदगी तो ;
कुछ दुसरे कमरों में भटकती है !
अचानक ही यादो के झोंके
मुझे तुझसे मिला देते है .....
और एक पल में मुझे
कई सदियों की खुशी दे जाते है ...
काश
इन पलो की उम्र ;
सौ बरस की होती ................
काश
ReplyDeleteइन पलो की उम्र ;
सौ बरस की होती ...............
काश सिर्फ़ काश होता है ...बेहद खूबसूरत लिखा आपने
a very good poem sir hats off to you!!!!!!!!!!!!
ReplyDeleteबहुत सुंदर लिखा है आपने...क्षणिक होते हें ऐसे पल...बीतने पर याद आते रहते हैं...बधाई।
ReplyDeleteजहाँ सरसों के खेतों की
ReplyDeleteमस्त बयार होती है
जहाँ बैशाखी की रात के
जलसों की अंगार होती है
बहुत खूब।
काश
इन पलो की उम्र
सौ बरस की होती
ये जो काश है ना, ये लोगो की जान ले लेता है जी।
बहुत ही आकर्षक रचना है......
ReplyDeleteअति सुन्दर।
ReplyDeleteवाह ! सुंदर भावानुभूति और सराहनीय अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteबहुत सुंदर!
ReplyDeleteyeh kash insan ki jan le leta hai.........kash sab vaisa hi hota jaisa hum chahte............har pal zindagi ka koi na koi lamha samete huye hai to phir yadon ke kamre mein to hum ta-umra bhatakte hi rahenge na
ReplyDeleteबहुत खूब।
ReplyDeleteKAASH IN PALON KI UMAR SAU SAAL HOTI......
ReplyDeleteKAASHHHH..
SUNDAR NAZM....
BADHIYAA SKERCH KE SAATH..
BAHUT ACHCHHE...
beautiful! Beautiful!!
ReplyDeleteबढिया है । अंत पसंद आया ।
ReplyDeleteबहुत सुँदर भावोँ से सजीअनुभूति कविता मेँ ढली है यूँ ही लिखते रहीयेगा
ReplyDeleteकाश
ReplyDeleteइन पलो की उम्र
सौ बरस की होती
ये बात हुई ये एहसास दिल को छूता है अगर ये दो पंक्तियाँ ही लिख देते आप तो पूरी रचना बन जाती वाकई बहुत ही उन्दा लिखा है जनाब जी
kaash in palo ki umra sou baras hoti....
ReplyDeletekavita ki drashti me aapki kavita achchi he magar mujhe esa kyu bar bar lagta he ki kavitao me ras marta jaa raha he aour jo kuch bi aaj he vo apne shabdo ke jaal bunane me lage hue he..jaal me aadmi fnsta he magar use ras nahi milta...vo chhtpatata he kintu use kavya ras prapt nahi hota...
main bhi chhatpatata hu..jaal me fnsa hu..
ummid karta hu aapki kalam sirf shabdo ko nahi bunegi balki shahad bhi gholegi
amitabh
very nice !!
ReplyDeleteकाश
इन पलो की उम्र ;
सौ बरस की होती .
ye kash hi ehsas hai
umeed hai aage bhi umda rachanye aapki janib se aati rahengi
with regards
amitabh
SUNDER ABHIVYAKTI.BADHAAEE.
ReplyDeleteप्रेम की गहरी सम्वेदना है। बधाई
ReplyDeletesirf itna kehna hai kii...
ReplyDeletekaash in palon kii umra
sau aras kii hotii ....
काश
ReplyDeleteइन पलो की उम्र ;
सौ बरस की होती .......
sach mein bahut hi sundar rachna hai...yaaden hoti hi hain aisee...damaan se lipati rahti hain hamesha..ye--kash na jane kitna kuchh samet leta hai khud mein..ati sundar abhivyakti!
Bahut hee achchhee rachna hai.
ReplyDeleteBadhaaee.
bayaan zindagi ka koi vark kar diya, mai jisse anjaan na tha usse vaakif kar diya!
ReplyDeletebahut khub...insaan bhi kitna laalchi hota hai aur khudgarz bhi jab ose pyaar ho jaata hai ,...:)
ReplyDeletekash sau baras ki hoti :)
bahut khub...mujhe woh painting bhi bahut khub lagi Vijay ji...
daad kabool farmayein
fiza