Thursday, December 11, 2008

खामोशी

खामोशी रूह होती है प्यार की;

खामोशी को यदि लफ्जो की जुबान दी,
तो प्यार की तकदीरें बदल जाती है !

एक मेरे प्यार की तकदीर है ,
मैं खामोश ही रहता तो मेरा प्यार बदनाम न होता,
किसी अपने के लिए मैं यूँ न तडपता ,
किसी पराये में ;
मैं अपना अक्स न देखता ..

काश इस जनम से उस जनम तक
मैं खामोश ही रहता ...

कोई ,किसी नजूमी को जानता हो तो ;
मुझे बता दे ...

मैं अपनी तकदीर बदलना चाहता हूँ .......!!!

17 comments:

  1. किस्मत बदलना किसी नजूमी के बस का रोग भी नहीं होता....ये तो ख़ुद ही बदलनी होती है...अच्छी रचना...
    नीरज

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  2. बहुत सुन्दर रचना है।बहुत सही कहा है-

    खामोशी रूह होती है प्यार की;
    खामोशी को यदि लफ्जो की जुबान दी,
    तो प्यार की तकदीरें बदल जाती है !

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  3. कोशिश करे इंसान तो क्या मुश्किल है :) अच्छी लिखी है आपने रचना

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  4. बहुत अच्छा लिखा है आपने। दृढनिश्चय हो तो कुछ भी संभव है।

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  5. सुंदर भावपूर्ण रचना .

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  6. बहुत अच्छी रचना .......

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  7. बहुत अच्छा लिखा है। काश तकदीरों को बदला जा सकता।

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  8. विजय कुमार जी आपकी रचना सुंदर है

    आपकी टिप्पणी के लिए शुक्रिया पर मेरी ये कहानी नही हकीकत है

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  9. खामोशी रूह होती है प्यार की;
    खामोशी को यदि लफ्जो की जुबान दी,
    तो प्यार की तकदीरें बदल जाती है !
    वाह क्या बात हैं। क्या अदांज हैं। आज ही आपके मन के शहर भी घुम आए जी सुन्दर हैं।

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  10. बेहतरीन रचना....बधाई!!

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  11. sundar rachna......har baar ki tarah.
    saty ko chitrankit si karti.."khaamosh rooh hoti hai pyaar ki"...kitna sahi hai.

    dheron badhaayee.

    ...Ehsaas!

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  12. sir
    iska sirshak gajab ka hai
    khamosii rooh hotii hai pyar kii ......

    agar aapko woh najoomi mile to mujhe bhii milvaiyega ....

    main bhi bahut time se usko khoj raha huun ...........
    haath kii lakeeron ko thoda sidha karna hai ........

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  13. हर रोज नजूमी के आगे फ़ैला कर देख लिया लेकिन
    हाथों की धुन्ध लकीरों में किस्मत की कोई नहीं मिलती

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  14. bahut khoob.............khamoshi ki juban nhi hoti.......yeh to lafzon mein hi bayan hoti hai............khamoshi ki bhasha sirf khamoshi hi samajhti hai.

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  15. main khamosh hi rhta to mera pyar badnaam na hota.....
    aaj to ek baar mei hi jaan leloge aap........
    ye aapki bahut hi spl rachna hai......
    sidhe dil par asar karti hai..
    sidhe dil mei ghar kar jati hai.....

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  16. aap bahut achha likhte hain..bas itna kehna chhaonnga.. ki

    "aasmaa mein bhi ched hota hai,
    ek pathar to tabiyat se uchalon yaaron."

    Achha laga ye rachna padhker..choo gayi

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