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एक अधूरी [ पूर्ण ] कविता
घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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घर परिवार अब कहाँ रह गए है , अब तो बस मकान और लोग बचे रहे है बाकी रिश्ते नाते अब कहाँ रह गए है अब तो सिर्फ \बस सिर्फ...
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मिलना मुझे तुम उस क्षितिझ पर जहाँ सूरज डूब रहा हो लाल रंग में जहाँ नीली नदी बह रही हो चुपचाप और मैं आऊँ निशिगंधा के सफ़ेद खुशबु के साथ और त...
बहुत खूब .सुंदर भाव है
ReplyDeletebahut badhiya afsane aise hi hote hai.
ReplyDeleteसुंदर भाव लिए सुंदर कविता।
ReplyDeleteबहुत खूब जी। सुन्दर भाव। सच ऐसा ही होता हैं पर ऐसा क्यूँ होता है जी? जरा ये भी किसी दिन किसी रचना में समझाना जी।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया, भई
ReplyDelete---
चाँद, बादल, और शाम
http://prajapativinay.blogspot.com/
गुलाबी कोंपलें
http://www.vinayprajapati.co.cc
और क्या ......
ReplyDeleteमोहब्बत के अफ़साने ऐसे ही होते है ......
" han shayad mohhabbat ke afsane ais ehi hoten hain, milna, fir bichad jana or bus yadein......... intjar.... or kuch nahi...behtrin"
regards
आपने कुछ जन्म की बात की है
ReplyDeleteकुछ जनम साथ चलने के बाद ;
दोनों जुदा हो गए !!
यहां तो कुछ कदम के बाद ही साथ छुटने लगता है यदि राह दुश्वार लगे तो...
उंगलियां घी और सर कढाही में हो तो कई जन्मों की सोच सकते हैं मगर वफ़ा की फ़िर भी नहीं...
:)
bahot hi achcha likha hai aapne ....
ReplyDeletereally very nice ..
बहुत भावपूर्ण रचना....वाह....सही कहा है आपने....कुछ शब्दों में जिंदगी की कहानी कह दी...आपने...वाह वा..
ReplyDeleteनीरज
aapka afsana ..................haqeekat hai...........pata nhi kis janam ke afsane kis janam mein milte hain phir se bichadne ke liye............bahut khoob
ReplyDeleteअब तक जितने भी अफ़साने सुने हैं...ज्यादातर ऐसे ही निकले हैं. अभी तक सोच रहा हूँ की मंजिल दूर थी, रहगुजर उदास था या रहबर कमअक्ल.
ReplyDeletebahot km alfaaz meiN muhobbat ka
ReplyDeletepoora phalspha hi keh daala aapne.
lekin judaai aur vir`haa bhi aanandit karte haiN kabhi, palkoN ki qtaaroN pr nanhe qatre muskraate haiN aur baateiN karte haiN...!!
---MUFLIS---
बहोत खूब लिखा है आपने .....
ReplyDeleteआप की बात, दिल के करीब होती है, दिल को छूती है.
ReplyDeleteसुंदर हैं.
बधाई
सुंदर कविता
ReplyDeleteदिल के जज्बातों से परिपूर्ण
मुलाक़ात, मोहब्बत और जुदाई. प्यार के अफ़साने ऐसे ही होते हैं.
ReplyDeleteसुन्दर शब्दों का संयोजन है पर इस मतलबी और फरेबी दुनियाँ में तो अब प्यार मोहब्बत की
ReplyDeleteबातें बेमानी सी लगती है...
बज़ा फ़रमाया आपने.... अफ़साने यूं ही तो बनते हैं... और अपनी छाप छोड़ जाते है।
ReplyDeleteWah..........
ReplyDeletesunder bhavabhivyakti ke liye badhai....
आपके ब्लॉग पर बड़ी खूबसूरती से विचार व्यक्त किये गए हैं, पढ़कर आनंद का अनुभव हुआ. कभी मेरे शब्द-सृजन (www.kkyadav.blogspot.com)पर भी झाँकें !!
ReplyDeleteबता तो जरा ,
ReplyDeleteक्या मेरा अफसाना ऐसा नही ,
या तेरा अफसाना ऐसा नही ....
-बहुत खूब !!
बहुत ही सही......
ReplyDeleteकम शब्दों में बहुत कुछ कहे गए आप हर बार की तरहां मार्मिक रचना bahut hi accha likha hai..........
अक्षय-मन
ji ye nazm bilkul hanare nazm se mel khati hui hai...zara sambhal ke janab :)copyright na ho jaye ... lol
ReplyDeletedaad kabool karein
fiza
Sahi hai Sanyog aur viyog ek hi sikke ke do pahlu hai. Ek Behtar avivyaqti.
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