Saturday, December 20, 2008
सफर
मेरे दोस्त , तय करना है ज़िन्दगी का ये सफर
कभी रोकर और कभी हंसकर ;
बनना न कायर तुम इस से डरकर ,
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
मिलेंगे साथी कई , हर एक मोड़ पर,
परेशान न हो , कभी पाकर तो कभी खोकर ,
पर किसी न किसी को बनाना जरुर हमसफ़र ,
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
ऐसा भी होता है, ,कभी कभी मेरे दिलबर ,
कि , आता है , रोना टूटी हुई चाहत पर
पर पथिक बढ़ना है आगे ; तुझे सबकुछ भुलाकर
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
पागल न होना ,कभी हसीन फूलो को पाकर ,
और चलना न कभी कांटो से दामन बचाकर
कभी - कभी सोना भी पड़ता है काँटों की सेज पर
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
यूँ तो जीने को जीतें है सब पर,
दिखाओ तो कुछ हिस्सा दूसरो के लिए जीकर
पर जियो न ज़िन्दगी , बार बार मरकर
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
हाँ तुझे ही तय करना है तेरे ज़िन्दगी का सफर ...
इसलिए मुस्कराते हुए तय कर अपनी ज़िन्दगी का सफर ..
कुछ ऐसा कर जा दोस्त , बन जाए तेरा ये एक महान सफर
कि , आने वाले दिनों में लोग कहे ,
क्या शानदार जिया है इसने अपना ये सफर........
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बहुत ही सुंदर...प्रेरक रचना...वाह.
ReplyDeleteनीरज
विजय जी,बहुत ही बढिया रचना है।जिन्दगी को जीनें का अंदाज बहुत सही लिखा है।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeleteयूँ तो जीने को जीतें है सब पर,
दिखाओ तो कुछ हिस्सा दूसरो के लिए जीकर
पर जियो न ज़िन्दगी , बार बार मरकर
क्योंकि तय करना है , ज़िन्दगी का ये सफर ;
वाह वाह वाह वाह
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर। जोश भरती, होसंला देती रचना।
ReplyDeleteकुछ ऐसा कर जा दोस्त , बन जाए तेरा ये एक महान सफर
कि , आने वाले दिनों में लोग कहे ,
क्या शानदार जिया है इसने अपना ये सफर........
कुछ ऐसी ही सोच रही है हमारी, पर अभी सफर है जारी।
कुछ ऐसा कर जा दोस्त, बन जाये ये तेरा महान सफर ...
ReplyDeleteबहुत कुछ कह डाला आपने इन पंक्तियों में ...सचमुच इंसान की प्रवृत्ति ऐसी हो जाये तो क्या कहना...
zindagi agar aise hi ji le har koi to kehna hi kya........bahut achcha tarika hai jeene ka
ReplyDeletePrernadayi rachna.
ReplyDeleteज़िन्दगी देखी है हमने तुममे कहीं पनपती हुई पर
ReplyDeleteयहाँ तो बहुत से लोग मौत की चाहत में जी जाते हैं
सुन्दर ! प्रेरणादायक कविता !
ReplyDeleteघुघूती बासूती
आपकी पंक्तियों का सार आपको ही समर्पित -
ReplyDeleteमेरे दोस्त तय करना है जिन्दगी का ये सफर,
बनना न तुम कायर इससे डरकर
और चलना न कभी काँटों से दामन बचा कर
क्योंकि तय करना है जिन्दगी का ये सफर.
aap ka andaaz behad hi bhhavpoorna aur dil ko choo lene wala hai!
ReplyDelete"...yu to jeene ko jeete haiN sb pr
ReplyDeletedikhaao to dusro ke liye jeekar..."
bahot hi khoobsurat rachna....
ek prerna, ek sandesh, ek aahvaan
Aur ye tabhi sambahv ho paata hai jb koi rachnakaar apni chetna ko vistaar de kar n sirf apne liye shabd kehta hai, balke apne smaaj aur parivesh ko bhi apne krititv mei samet lene ki koshish karta hai.
Aapne mehnat ki hai...
meri shubhkaamnaaeiN..
---MUFLIS---
बेहतरीन कविता और जीवन की सही राह दिखाती हुई.
ReplyDelete:)
VIJAY JEE,AAPKEE SASHAKT RACHNA
ReplyDeletePADHKAR MUJJHE MEREE GAZAL KAA
MATLA YAAD AA GAYAA HAI---
KAUN AKELA RAH KAR JAG MEIN
KARTA HAI KUCHH HAASIL JEE
SAATH NAHIN GAR SANGEE-SAATHEE
HAR RASTA HAI MUSHKIL JEE
ACHCHHE RACHNA KE LIYE
AAPKO BADHAAEE.
bahut khub seek dee hai aapne apne iss nazm ke zariye...bas koi safar iss kadar taiy kar paaye to kya baat hai :)
ReplyDeletedheron daad kabool farmayein janab
fiza