तुझे देखा नही ,पर तुझे चाह लिया
तुझे ढूँढा नही , पर तुझे पा लिया ..
सच !!!
कैसे कैसे जादू होतें है ज़िन्दगी के बाजारों में ....
रिश्ता
अभी अभी मिले है ,
पर जन्मों की बात लगती है
हमारा रिश्ता
ख्वाबों की बारात लगती है
आओं...एक रिश्ता हम उगा ले ;
ज़िन्दगी के बरगद पर ,
तुम कुछ लम्हों की रोशनी फैला दो ,
मैं कुछ यादो की झालर बिछा दूँ ..
कुछ तेरी साँसे , कुछ मेरी साँसे .
इस रिश्ते के नाम उधार दे दे...
आओ , एक खवाब बुन ले इस रिश्ते में
जो इस उम्र को ठहरा दे ;
एक ऐसे मोड़ पर ....
जहाँ मैं तेरी आँखों से आंसू चुरा लूँ
जहाँ मैं तेरी झोली ,खुशियों से भर दूँ
जहाँ मैं अपनी हँसी तुझे दे दूँ ..
जहाँ मैं अपनी साँसों में तेरी खुशबु भर लूँ
जहाँ मैं अपनी तकदीर में तेरा नाम लिख दूँ
जहाँ मैं तुझ में पनाह पा लूँ ...
आओ , एक रिश्ता बनाये
जिसका कोई नाम न हो
जिसमे रूह की बात हो ..
और सिर्फ़ तू मेरे साथ हो ...
और मोहब्बत के दरवेश कहे
अल्लाह , क्या मोहब्बत है !!!
...जिसका कोई नाम न हो
ReplyDeleteजिसमें रूह की बात हो
और सिर्फ़ तू मेरे साथ हो...
लाजवाब रचना विजय जी...बधाई...
नीरज
बहुत सुंदर रचना है.....बधाई।
ReplyDeleteतुझे देखा नही ,पर तुझे चाह लिया
ReplyDeleteतुझे ढूँढा नही , पर तुझे पा लिया ..
सच !!!
कैसे कैसे जादू होतें है ज़िन्दगी के बाजारों में ....
बहुत गहरे में उतर गए आप।
आओं...एक रिश्ता हम उगा ले ;
ज़िन्दगी के बरगद पर ,
तुम कुछ लम्हों की रोशनी फैला दो ,
मैं कुछ यादो की झालर बिछा दूँ ..
बहुत सुन्दर भाव।
विजय जी,बहुत सुन्दर रचना है।बधाई।
ReplyDelete...जिसका कोई नाम न हो
जिसमें रूह की बात हो
और सिर्फ़ तू मेरे साथ हो...
mohabbat ho to aisi........jahan rishta rooh se rooh ka ho...........jismani rishtey to samjhauton par tike hote hain .........rooh ke rishtey hi karib hua karte hain.
ReplyDeleteअल्लाह , क्या मोहब्बत है !!!
ReplyDeleteमार डाला मोहब्बत को मोहब्बत से मार डाला
मुझे लगता है हवाओं का रुख बदला हुआ है
इस मोहब्बत की फिजाओं का नशा छ रहा जिस्मो दिमाग पर ये नशा मुझे करा दो ये एहसास मुझे भी दिला दो....
ऐसी मोहब्बत से मुझे भी मिला दो....
अक्षय-मन
MashaAllah! bahut khub ...waqai maza aagaya parhkar rishte bhi kitne ajeeb hote hein...kabhi bahut kuch maangte hein to kabhi kuch bhi nahi!!!!
ReplyDeletedaad kabool farmayein Vijay ji
fiza