Saturday, December 13, 2008

मैं चलता ही रहा....


चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....
इस सफर के हर बोझ को तो मैं ढोते ही रहा ..
साथ ही कभी - कभी मैं गीत गाते ही रहा ..
भूतकाल को भूल , वक्त के साथ , हर कदम चलते ही रहा....
पर, क्योंकि , जीवनपथ पर चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....

जीवन के हर फूल को मेहनत से मैं सींचते ही रहा .
ज़िन्दगी की अनगिनत मुश्किलों से मैं लड़ते ही रहा
कर्म ही है ,मेरी पूजा , ये मान , उसे मैं करते ही रहा
पर, क्योंकि , जीवनपथ पर चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....

जीवन की धुप छांव की परवाह न कर , मैं तो जीता ही रहा
ज़िन्दगी की हर कड़वाहट को , शिव समान , मैं पीता ही रहा
तड़प के असहनीय क्षणों में भी मैं नीलकंठ बन मुस्कराता रहा ..
पर, क्योंकि , जीवनपथ पर चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....

प्यार के फूल मैं हर एक राहगुजर पर बिखेरते ही रहा ,
बाँट अपनी खुशियाँ दूजे को , जमाने के गम समेटता ही रहा ,
लेकिन , सफर के हर मुकाम पर ; मैं "अपनों" को खोजते ही रहा
पर, क्योंकि , जीवनपथ पर चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....

जीवन रूपी इस मधुबन की खुशबु मैं लेते ही रहा
सुख दुःख की इस नदिया को मैं पार करते ही रहा
मानव धर्म का मैं पालन करते ही रहा ...
पर, क्योंकि , जीवनपथ पर चलना है मुझे , इसलिए मैं चलता ही रहा .....

मैं चलते ही रहूँगा हमेशा ....

10 comments:

  1. बढ़िया !
    घुघूती बासूती

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  2. aur kar bhi kya sakte hain....
    in kadmon ko zindagi ki katili rahain hi itni pyari lagti hain......
    chaliye hum bhi sath hain.....

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  3. इस चलने में आनंद की अनुभूति भी हो, तभी चलना सार्थक है.

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  4. बहुत ही उत्साह वर्धक रचना !

    राम राम !

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  5. "जिदंगी की हर कड़वाहट को, शिव समान, मैं पीता ही रहा...... तड़प के असहनीय क्षणों में भी नीलकंठ बन मुस्कराता रहा..."
    आपकी ये पक्तिंया काफ़ी पसंद आई। ज़िदंगी के सफ़र को अच्छा शब्दों में बांधा आपने।
    आपका ये सफ़र कामयाबी के साथ बढ़ता रहे।

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  6. वाह जी बहुत खूब। उत्साह बढ़ाती रचना।

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  7. बोझ ढोना है ढोता रहा चलता रहा ,मुश्किलों से लड़ना कर्म करना (गीता ज्ञान )कड़वाहट को विष तुल्य पीता गया ""मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया"" ..धूप थी नसीव में तो धूप में लिया है दम ,चांदनी मिली तो हम चांदनी में सो लिए "" आपके विचारधारा से मिलते हुए उपर्युक्त दो गाने मैंने कभी सुने थे आज याद आए

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  8. chalna hi zindagi hai...........kaise bhi chalo ,chalna to padega hi.

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  9. "...sach ke thos dhraatal par likhe
    gaye sundar shabd, kaavyatmakta ko
    nibhaati hui aadarsh rachna, manobhaav ka anupam chitran..."
    yes ! this is what Vijaysappati is
    known for, full of purity, truism,
    and aboveall submission.
    congrats !!
    ---MUFLIS---

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